IAS Smita Sabharwal Success Story : दूसरे प्रयास में स्मिता बन गई IAS टॉपर, सिर्फ 23 साल की उम्र में मिली CMO में पोस्टिंग, पढ़ें स्मिता सभरवाल की सफलता की कहानी

यूं तो लाखों युवा यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी करते हैं, लेकिन बहुत कम ही लोग इस परीक्षा को बहुत कम उम्र में क्रैक कर पाते हैं. आईएएस ऑफिसर स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal IAS Officer) का नाम देश के ऐसे ही छात्रों में गिना जाता है. स्मिता सभरवाल के सफलता की कहानी युवाओं के लिए काफी प्रेरणादायक है. स्मिता सभरवाल वर्तमान में तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय (Telangana CMO) में पोस्टेड हैं. मात्र 23 वर्ष की उम्र में उन्होंने इस उपलब्धि को हासिल कर लिया है.
स्मिता सभरवाल का जन्म पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में साल 1977 में हुआ. स्मिता सभरवाल के पिता सेना में कर्नल थे. कर्नल प्रणब दास (Col Pranab Das) बाद में हैदराबाद (Hyderabad) में आकर रहने लगे. पिता के आर्मी में होने की वजह से स्मिता कई शहरों में पली-बढ़ी हैं. स्मिता की स्कूलिंग पूरी की और 12वीं में ISC टॉपर रहीं. इसके बाद उन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम में ग्रेजुएशन की.
जब स्मिता ने 12वीं में टॉप किया तो उनके पिता ने उन्हें सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रोत्साहित किया. ग्रेजुएशन के बाद स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal) ने सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी शुरू की. पहले प्रयास में स्मिता को असफलता हाथ लगी. वो प्रीलिम्स एग्जाम (UPSC Prelims Exam) भी क्लियर नहीं कर पाई.
स्मिता सभरवाल (Smita Sabharwal) ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत के साथ दूसरी बार एग्जाम दिया. स्मिता ने साल 2000 में यूपीएससी एग्जाम में चौथी रैंक हासिल की और सिर्फ 22 साल की उम्र में आईएएस अफसर (IAS Officer) बन गईं. एग्जाम की तैयारी के बारे में स्मिता बताती हैं कि वह रोजाना छह घंटे पढ़ाई करती थी और इसके साथ ही वह एक घंटे का समय स्पोर्ट्स एक्टिविटी के लिए भी निकालती थीं.
आईएएस स्मिता की पहली नियुक्ति चितूर में सब-कलेक्टर के रूप में हुई. वह कडप्पा रूरल डेवलपमेंट एजेंसी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर, वारंगल की नगर निगम कमिश्नर और कुरनूल की संयुक्त कलेक्टर रही हैं. वह विशाखापत्तनम और करीमनगर जैसी जगहों पर भी तैनात रही हैं.
स्मिता तेलंगाना की पहली ऐसी महिला है जो मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात हुई. उन्होंने IPS डॉक्टर अकुन सबरवाल से शादी की है और उनके 2 बच्चे नानक और भुविश हैं. उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए काफी काम किया है. ग्रामीण पृष्ठभूमि के लोगों का जीवन स्तर सुधारने के लिए कई जागरूकता अभियान चलाए हैं.